Tuesday, December 30, 2008

इस जिंदगी की चमक में तुम हो

बेखौफ़ निगाहों
से जब तुम देखते हो
मुझे दिल उदास हो जाता है
बीते हुए क्षण क्यूँ याद आते हैं
इतना फिर तड़प जाती हूँ मैं
अपना प्यार पाने के लिये
वो तमाम हरकते गुदगुदाने लगती है
मेरे अस्मरण को
मैंने चाहा था तुम्‍हारे संग जीना
पर समय और मज़बूरी ने मुझे तोड़ दिया
आज मैं तुम्हें खोकर भी तुम्हारी जान हूँ
प्यार है मेरी साँसों में इस की किस्मत
सिर्फ़ आंसू है हाँ
आज भी इस जिंदगी की चमक में तुम हो

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